Hybrid Cars: पेट्रोल और डीजल की तुलना में हाइब्रिड कारें काफी बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। कई कार मेकर अपने फेमस मॉडलों को हाइब्रिड अवतार में लाने की तैयारी कर रही हैं। हाइब्रिड कारों में ICE यानी पेट्रोल इंजन के साथ इलेक्ट्रिक मोटर भी मिलती है। ऐसे में वाहन चालक के पास फ्यूल के साथ इलेक्ट्रिक मोटर से भी कार चलाने का ऑप्शन होता है। यही वजह है कि इसे फ्यूल वाली कारों के मुकाबले थोड़ा बेहतर माना जाता है। मगर नीति आयोग के पूर्व CEO Amitabh Kant ने हाइब्रिड कारों के उपयोग पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
Hybrid Cars के भविष्य पर नीति आयोग के पूर्व CEO ने कही बड़ी बात
‘Financial Express’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग के पूर्व CEO Amitabh Kant ने पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय को लेटर भेजकर प्योर इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों की वाहन तकनीक अपनाने पर रणनीतिक स्पष्टता की मांग की है। अमिताभ कांत ने कहा, ‘हाइब्रिड या आईसीई यानी आंतरिक दहन इंजन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना, एआई पावर्ड स्मार्टफोन के उदय के दौरान टाइपराइटरों में निवेश करने जैसा है।’ अमिताभ कांत ने आगे कहा, ‘ये पुरानी प्रणालियां हैं। भारत के पर्यावरणीय, आर्थिक और रणनीतिक लक्ष्य यह मांग करते हैं कि हम तकनीकी रूप से आगे बढ़ें और बीच की तकनीकों में न फंसें।’
हाइब्रिड कारों पर क्या है कार मेकर्स का पक्ष?
‘Financial Express’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कार मेकर इस मसले पर बंटे हुए हैं। मारुति सुजुकी, टोयोटा और होंडा जैसी कंपनियां Hybrid Cars को EV नीति के तहत आगे बढ़ाने के पक्ष में है। वहीं, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और हुंडई जैसी कार कंपनियां हाइब्रिड कारों को प्रोत्साहन देने के विरोध में हैं। हाइब्रिड एक पुरानी तकनीक है, जिससे भविष्य में उत्सर्जन रहित पर्यावरण का लक्ष्य हासिल करना कठिन हो सकता है।
उधर, फाडा यानी फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अनुसार, इलेक्ट्रिक कारों ने मई में 4.1 फीसदी की अपनी उच्चतम पहुंच हासिल की है। यह तेजी 2024 में देखी गई 2.4 फीसदी से से अधिक है।