रविवार, अप्रैल 28, 2024
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Citizenship Amendment Act: सीएए और एनआरसी में क्या है अंतर? मुसलमानों की परेशानी से असम के हिंदुओ की दिक्कत तक, यहां जाने पूरी डिटेल

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Citizenship Amendment Act: केंद्र सरकार ने सोमवार को देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू कर दिया है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। लेकिन केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद इसका विरोध भी शुरू हो गया है। बता दें किCitizenship Amendment Act का विरोध करने वाले राज्यों में असम भी शामिल है।

इसी बीच अब एनआरसी(NRC) का मुद्दा भी गरमा गया है। कई लोग इस असमंजस में है कि क्या सीएए और एनआरसी एक है? क्या यह दोनों कानून मुस्लिमों के खिलाफ है। आईए इस लेख में आपको बताते है कि सीएए और एनआरसी में क्या अंतर है। और इस कानून का मुसलमानों पर कितना प्रभाव पड़ेगा। साथ ही असम में हिंदु सीएए का विरोध क्यों कर रहे है।

Citizenship Amendment Act क्या है?

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को 2019 में संसद द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। बता दें कि 11 दिसंबर, 2019 को पारित यह कानून उन हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देता है, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में आकर बसे है। उन्हें ही नागरिकता प्रदान की जाएगी।

एनआरसी क्या है?

1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत स्थापित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) विशेष रूप से भारतीय नागरिकों का एक रिकॉर्ड है। इसका मुख्य उद्देश्य वैध भारतीय निवासियों की पहचान करना है। बता दें कि अब तक इसे केवल असम में लागू किया गया है। हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अवैध अप्रवासियों की पहचान के लिए एनआरसी को देश भर में विस्तारित करने की योजना की घोषणा की गई है। वहीं सरकार यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी का भारत के किसी भी धर्म का कोई लेना देना नही है। इसका मकसद केवल भारत से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है।

सीएए और एनआरसी के बीच अंतर

Citizenship Amendment Act पूरी तरह से भारत में रहने वाले अवैध प्रवासियों पर लागू होता है, एनआरसी में विशेष रूप से भारतीय नागरिकों का रिकॉर्ड शामिल होता है। सरकार के आश्वासन के बावजूद, सीएए और एनआरसी के संभावित संयुक्त प्रभाव के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं।

मुसलमान इस कानून का विरोध क्यों कर रहे है

कई लोगों का मानना है सीएए, यह कानून, नागरिकों के प्रस्तावित राष्ट्रीय रजिस्टर के साथ मिलकर, भारत के लगभग 18 करोड़ मुसलमान, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है, के खिलाफ भेदभाव का कारण बन सकता है। उन्हें डर है कि सीएए के साथ प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनसीआर) से सीमावर्ती राज्यों में उचित दस्तावेज के बिना मुसलमानों की नागरिकता खत्म हो सकती है।

असम में हिंदू Citizenship Amendment Act का विरोध क्यों कर रहे हैं?

CAA का विरोध करने वाले राज्यों में असम भी शामिल है। असम में विपक्षी दलों और क्षेत्रीय संगठनों ने शांतिपूर्ण आंदोलन का आह्वान किया है। वहीं गुवाहाटी पुलिस ने सीएए के खिलाफ असम बंद का आह्वान करने वाले संगठनों को कानूनी नोटिस जारी किया है। गुवाहाटी पुलिस ने कहा है कि अगर रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्गों सहित किसी भी सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है या कोई नागरिक घायल होता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दिलचस्प बात यह है कि असम में हिंदू ही इस कानून का विरोध कर रहे हैं। असम बांग्लादेश के साथ 263 किमी लंबी सीमा साझा करता है। वहां से असम में बड़े पैमाने पर घुसपैठ हो रही है। असम में सीएए के विरोधियों ने कहा कि यह कानून केंद्र सरकार और एएएसयू के बीच 1985 में हस्ताक्षरित असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सीएए का विरोध तेज होने की आशंका है।

AIMJ के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने सीएए का किया समर्थन

सीएए अधिसूचना पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी का कहना है, “भारत सरकार ने सीएए कानून लागू किया है। मैं इस कानून का स्वागत करता हूं। यह बहुत पहले किया जाना चाहिए था। मुसलमानों में बहुत सारी गलतफहमियां हैं। इस कानून के संबंध में। इस कानून का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुसलमानों, जिन्हें धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना करना पड़ता था, को नागरिकता देने के लिए कोई कानून नहीं था।

इसलिए यह कानून बनाया गया है। इस कानून से भारत के करोड़ों मुसलमानों पर बिल्कुल भी असर नहीं पड़ेगा। यह कानून किसी भी मुसलमान की नागरिकता नहीं छीनने वाला है। पिछले सालों में देखा गया है कि विरोध प्रदर्शन हुए, इसकी वजह यह थी ग़लतफ़हमियों की। कुछ राजनीतिक लोगों ने मुसलमानों के बीच ग़लतफ़हमियां पैदा कीं। भारत के हर मुसलमान को CAA का स्वागत करना चाहिए”।

भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कानून के बारे में डर को दूर करने के प्रयास में मंगलवार को एक बयान में कहा कि भारतीय मुसलमानों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनकी नागरिकता नहीं छीन सकता है। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों को अपने हिंदू समकक्षों की तरह समान अधिकार हैं और किसी भी नागरिक से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा।

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