रविवार, अप्रैल 28, 2024
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Farmer Protest: केंद्र की 5-वर्षीय एमएसपी योजना को किसानों ने क्यों ठुकराया? जानें क्या है इसकी वजह

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Farmer Protest: सरकार और किसान नेताओं के बीच चौथे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। गौरतलब है कि किसान अपनी मांगों को लेकर पंजाब हरियाणा के बॉर्डर पर डटे हुए है। इसी बीच सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच गतिरोध सोमवार को दूसरे सप्ताह में पहुंच गया, चार दौर की वार्ता के बाद कोई निश्चित सफलता नहीं मिली, हालांकि कुछ मांगों को लेकर सहमति बन गई है।

केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार को चौथे दौर की बातचीत हुई, जहां केंद्र ने सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद से जुड़ी पांच साल की योजना पेश की।

किसानों ने सोमवार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर केंद्र सरकार की नई योजना को यह कहते हुए मना कर दिया कि यह उनके हित में नहीं है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद, प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वह 21 फरवरी की सुबह अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू करेंगे।

क्या है एमएसपी?

एमएसपी वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है, और यह किसानों द्वारा किए गए उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना की गणना पर आधारित है।

एमएसपी किसी भी फसल के लिए एक न्यूनतम मूल्य है, जिसे सरकार किसानों के लिए लाभकारी मानती है और इसलिए समर्थन के योग्य है।

इसका उद्देश्य न केवल किसानों को उनके निवेश पर न्यूनतम रिटर्न की अनुमति देना है, बल्कि सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए फसलों की खरीद करना भी है। एमएसपी फ्लोर प्राइस है, यानी यह वह न्यूनतम कीमत है जिस पर बाजार में फसल खरीदी जा सकती है।

क्या था केंद्र सरकार का प्रस्ताव?

केंद्र ने किसान नेताओं के सामने पांच साल की योजना पेश की जिसके तहत सरकार ने अगले पांच साल के लिए एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास खरीदने का प्रस्ताव रखा। हालांकि इसे किसानों ने सिरे से खारिज कर दिया। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को सभी 23 फसलों पर गारंटी देनी चाहिए, न कि केवल दाल या मक्का पर। उन्होंने बताया कि दाल या मक्का उगाने में उनकी हिस्सेदारी किसी भी मामले में कम है। इस अधूरे प्रस्ताव से पंजाब, हरियाणा के किसानों को कोई फायदा नहीं है।

किसानों ने एमएसपी पर क्यों ठुकराया सरकार का प्रस्ताव?

Farmer Protest
फाइल फोटो प्रतिकात्मक

एमएसपी के लिए कानूनी समर्थन के अलावा, किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए, साथ ही किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन भी दी जाए। एक रिपोर्ट के अनुसार, एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें उल्लेखनीय हैं क्योंकि इसमें सुझाव दिया गया है कि न्यूनतम कीमत उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होनी चाहिए।

इसे C2+50 फॉर्मूला के रूप में जाना जाता है, जो एमएसपी निर्धारित करने में पूंजी और भूमि किराए की लागत को ध्यान में रखता है। विरोध प्रदर्शन के इस दौर के पीछे प्रमुख किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा ने संकेत दिया है कि वह उस फॉर्मूले से कम कुछ भी स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

क्या होगा किसानों का अगला कदम?

आपको बताते चले कि किसानों ने सरकार का प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। वहीं पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र चर्चा में कुछ और कहती है और  बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते समय कुछ औ कहती है, हमने कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। हम 21 फरवरी को सुबह 11 बजे दिल्ली की ओर कूच करेंगे।

क्या है किसानों की दूसरी मांगे?

एमएसपी के अलावा, किसान कर्ज माफी, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं, किसानों को हर महीने 10000 रूपये पेंशन, 2020-21 के विरोध प्रदर्शन में दर्ज पुलिस मामले को वापस लिया जाए।

Farmer Protest 2020-21 में क्या हुआ था?

जून 2020 में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आई जिसके खिलाफ Farmer Protest शुरू हुआ। बता दें कि यह आंदोलन करीब 1 साल तक चला जिसके बाद केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को वापस ले लिया। इसके अलावा इस बार Farmer Protest संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले नहीं हो रहा है बल्कि इसे पंजाब, हरियाणा और कई राज्य के अलग-अलग किसान संगठन मिलकर आयोजित कर रहे है।

 

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