सोमवार, अक्टूबर 7, 2024
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Maratha Reservation: महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला! नौकरियों, शिक्षा में मराठा समुदाय को 10% रिजर्वेशन; जानें क्या है सुप्रीम कोर्ट का 50 प्रतिशत आरक्षण नियम

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Amol Kale: मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) के अध्यक्ष अमोल काले का बीते दिनों, न्यूयॉर्क में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गया था। इसके बाद आज उनके पार्थिव शरीर को मुंबई में स्थित उनके आवास पर लाया गया है जहां लोग उनके अंतिम दर्शन करने को जुट रहे हैं।

Maratha Reservation: महाराष्ट्र सरकार ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में मराठों के लिए 10% Maratha Reservation बढ़ा दिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र में कुल आरक्षण 62% हो जाएगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विशेष विधानसभा सत्र के दौरान एक रिपोर्ट पेश करने के बाद कहा कि Maratha Reservation कानून की शर्तों के अनुसार दिया जाएगा। आपको बता दें कि यह रिपोर्ट अध्यक्ष न्यायमूर्ति ( सेवानिवृत्त) सुनिल शुक्रे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग (एमबीसीसी) की तरफ से राज्य सरकार को सौंपी गई थी।  गौरतलब है कि आयोग ने 9 दिनों के अंदर 2.5 करोड़ घरों का सर्वेक्षण किया था और एक रिपोर्ट तैयार की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय की थी

●50 फीसदी आरक्षण का नियम, जिसे ऐतिहासिक रूप से सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है, यह निर्देश देता है कि भारत में नौकरियों या शिक्षा के लिये आरक्षण कुल सीटों या पदों के 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।

●आपको बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण नीति और उसके मैक्सिमम लिमिट को इंदिरा साहनी जजमेंट में तय किया था, जिसके मुताबिक किसी भी सेवा में आरक्षण का एक लिमिट होना चाहिए। कोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देने पर रोक लगा दी और यह आरक्षण का अधिकतम कहलाया। इस फैसले को इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया था।

●हालांकि साल 2014 तक राज्य सरकारें अपने अपने राज्यों में इसी आधार पर आरक्षण की सीमा तय करती रही, लेकिन 2014 के बाद राज्यों ने मैक्सिमम लिमिट के कैप को तोड़ना शुरू कर दिया। हालांकि, कई राज्य इसमें कामयाब नहीं हो पाए। कोर्ट से उन्हें तगड़ा झटका मिला।

Maratha Reservation में अब तक क्या हुआ है?

●रिपोर्ट में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की जिम्मेदारी सरकार पर डाली गई है।

●महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने 2017 में मराठाओं की सामाजिक, वित्तीय और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एमबीसीसी का गठन किया था।

● Maratha Reservation के लिए आयोग ने नवंबर 2018 में रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया। उसी महीने, महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16% आरक्षण का प्रस्ताव करने वाला एक विधेयक पारित किया।

●बॉम्बे हाईकोर्ट ने तब आरक्षण कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और शैक्षणिक संस्थानों में कोटा घटाकर 12% और नौकरियों में 13% कर दिया।

●सुप्रीम कोर्ट ने Maratha Reservation देने वाले राज्य के कानून को रद्द कर दिया था।

मराठा कौन है?

●मराठाओं ने लगभग 32 साल पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर पहला विरोध प्रदर्शन किया था।

●ज़मींदारों से लेकर किसानों और योद्धाओं तक, मराठा महाराष्ट्र की आबादी का 33% हिस्सा हैं। मराठा क्षत्रियों के अधिकतर उपनाम देशमुख, भोंसले, मोरे, शिर्के और जाधव हैं। अन्य लोग कुनबी समुदाय से हैं, जो मुख्य रूप से कृषि प्रधान उपजाति है।

●मराठा साम्राज्य के समय तक मराठा क्षत्रियों और कुनबियों के बीच मतभेद मौजूद था। अब, अधिकांश मराठा खेती की गतिविधियों में लगे हुए हैं।

●जबकि सभी मराठा मराठी हैं, सभी मराठी मराठा नहीं हैं। मराठा जातियों के एक समूह का प्रतीक है, जबकि मराठी महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में कई समुदायों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।

●कुनबी, एक कृषक समुदाय जो ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है, सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहा है।

Maratha Reservation के बाद क्या बदलेगा?

●रिपोर्टों से पता चलता है कि 10% Maratha Reservation का बिल फड़नवीस सरकार द्वारा पेश किए गए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है।

●राज्य में पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% कोटा है, जिसमें राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा सबसे बड़े लाभार्थी हैं, जो 85% आरक्षण का दावा करते हैं।

●तीन दशकों में यह तीसरी बार है कि राज्य मराठा कोटा के लिए कानून पेश कर रहा है। हर बार कानून पेश किया गया, यह चुनाव से पहले किया गया था और सर्वेक्षण आयोजित किया गया था, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया था कि समुदाय पिछड़ा हुआ है।

मनोज जरांगे क्यों है नाराज?

आपको बता दें कि मराठा आंदोलन की अगुवाई करने वाले जरांगे का कहना है कि सरकार ने मराठा को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि मराठाओं की मांगों को पूरा नही किया गया है।  इससे आरक्षण 50 प्रतिशत के ऊपर जाएगी और सुप्रीम कोर्ट इस रदद कर देगा।

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