गुरूवार, मई 16, 2024
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Budget 2024: कितने प्रकार के होते है भारत में बजट? जानें पूरी डिटेल

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Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी। आप अपनी आमदनी-खर्च का अनुमान लगाकर अपने घर का बजट तैयार करती हैं। वहीं सरकार पूरे देश का बजट बनाती है। आपको बता दें कि बजट वास्तव में आमदनी और खर्च का हिसाब किताब है। एक वर्ष में राजस्व और व्यय इसमें शामिल किए जाते हैं। इन अनुमानों के आधार पर, बजटों को तीन भागों में बांटा गया है। ये तीन प्रकार हैं-संतुलित बजट, सरप्लस बजट और डेफिसिट बजट। चलिए आपको बताते है इन बजट के बारे में विस्तार से

Budget 2024: संतुलित बजट क्या है

अगर किसी एक वित्तीय वर्ष में सरकार की आमदनी और खर्च के आंकड़े बराबर हो तो इस संतुलित या बैलेंसड बजट कहते है। बहुत से अर्थशास्त्री सरकार के इसी तरह के बजट की उम्मीद करते है। आपको बता दें कि इस बजट को वास्तव में चादर के हिसाब से पैर फैलाने वाला बजट भी कहा जाता है। Budget 2024 संतुलित बजट आर्थिक सुस्ती के वक्त बेअसर साबित होता है। बेरोजगारी जैसी समस्या के समाधान में मदद नहीं मिल पाता है।

Budget 2024 सरप्लस बजट क्या है

किसी बजट को सरप्लस बजट तब कहा जाता है, जब किसी वित्तीय वर्ष में इनकम आय अनुमानित आय से अधिक होती है। वहीं इस बजट के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि सरकार की टैक्स से होने वाली इनकम सरकार द्वारा लोक कल्याण पर खर्च किए गए धन से अधिक है। मान लीजिये सरकार के पास अधिक धन उपलब्ध है तो वह इसे विभिन्न क्षेत्रों में खर्च कर सकती है, जिसमें शिक्षा, सामाजिक कार्यक्रम, रक्षा आदि क्षेत्र शामिल हो सकते हैं। अगर देश में महंगाई ज्यादा है तो इस समय डिमांड को कम करने के लिये इस बजट को किसी समय लागू किया जा सकता है, वहीं सरप्लस बजट मंदी के समय कारगर नहीं होता है।

डेफिसिट बजट क्या है

Budget 2024 अगर सरकार का अनुमानित खर्च उसकी कमाई से अधिक रहने का लेखा जोखा पेश किया जाए तो उसे डेफिसिट बजट कहते है। इसका मतलब यह है कि सरकार की टैक्स एवं अन्य स्रोतों से जितनी आमदनी होगी, उसे जनकल्याण के काम पर वह उससे अधिक खर्च करने की योजना बना रही है। गौरतलब है कि भारत जैसे विकाशाल देश में इस तरह का बजट ग्रोथ को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। खासतौर पर आर्थिक सुस्ती के इस दौर में इस तरह का बजट काफी लाभदायक हो सकता है। यह बजट आर्थिक सुस्ती के दौर में रोजगार बढ़ाने में मददगार साबित होता है। डेफिसिट बजट में सरकार उधारी लेकर अपने खर्च को कवर करती है।

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