सोमवार, मई 6, 2024
होमदेश & राज्यउत्तराखंडUttarakhand में सुरंग और बाईपास निर्माण के कारण Joshimath खतरे में,...

Uttarakhand में सुरंग और बाईपास निर्माण के कारण Joshimath खतरे में, विशेषज्ञों की राय तत्काल निर्माण कार्य रोका जाए

Date:

Related stories

Char Dham Yatra: चार धाम यात्रा को लेकर CM Dhami ने दिए ताजा अपडेट, जानें डिटेल

Char Dham Yatra: देश के सुदूर पर्वतीय इलाकों में बसा राज्य उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक वादियों के कारण सैलानियों को अपनी ओर तेजी से आकर्षित करता है।

Uttarakhand News: जोशीमठ में सुरंग और बाईपास निर्माण से होने वाले भूमि धंसाव के कारण शहर के जनजीवन को खतरा उतपन्न हो गया है। अतः विशेषज्ञों की टीम के अनुसार  निर्माण एजेंसियों को स्वतंत्र विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के साथ कार्य करना होगा।

जोशीमठ शहर हो रहा प्रभावित

देश के सीमांत प्रदेशों में से एक उत्तराखंड में आवागमन सुविधाओं को विकसित करने में लगी सरकारी सड़क निर्माण तथा अन्य टनलिंग एजेंसियों के अनियोजित निर्माण के कारण हो रहे भूमि धंसाव से राज्य के सामान्य जनजीवन को खतरा उतपन्न हो गया है। आपको बता दें जोशीमठ शहर में हेलंग बाई पास सड़क तथा एंटीपीटीसी के सुरंग निर्माण का कार्य हो रहा है। सुरंग निर्माण में एक ओर से विस्फोट का सहारा लिया जा रहा है तो दूसरी ओर से टनल बोरिंग मशीन से कार्य एक निजी कम्पनी से कराया जा रहा है। सही विशेषज्ञता न होने के कारण मशीन पहाड़ के अंदर फंसी हुई है। जिससे स्थितियां बिगड़ गई हैं। अभी तक सुरंग निर्माण 4 किमी दूर तक ही हुआ है।  निजी कम्पनी स्वतंत्र विशेषज्ञों को अपने साथ अध्ययन नहीं करने देना चाहती। यह एक दुस्साहस है तपोवन विष्णुगाड़ हाइड्रो परियोजना हेतु 2 सुरंग बनाई जानी है। इसी प्रकार हेलंग बाईपास के निर्माण को लेकर भी स्वतंत्र वैज्ञानिक चिंता व्यक्त कर रहे हे। 

ये भी पढें: Uttarakhand में Railway भूमि से अवैध Encroachment हटाने पर राजनीति गरमाई,Congress नेता Harish Rawat बैठे उपवास पर

जाने क्या कहती है स्वतंत्र वैज्ञानिक टीम

स्वतंत्र वैज्ञानिकों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे भू वैज्ञानिक नवीन जुयाल ने कल 6 जनवरी 2023 को एक प्रेस वार्ता करता हुए बताया कि जोशीमठ को तब तक नहीं बचाया जा सकता जबतक कि हेलंग बाईपास और सेलंग सुरंग का निर्माण कार्य तत्काल न रोका गया। जुयाल ने कहा कि तीखे ढाल में बसे जोशीमठ के नीचे से बाइपास बनाने का काम चल रहा है, जिसके कारण यह क्षेत्र कमजोर हो रहा है। जबकि 1976 में ही मिश्रा कमेटी ने यह कह दिया था कि  इस क्षेत्र में एक भी बोल्डर नहीं चलना चाहिए। किन्तु सलाहों को न मानकर परियोजना को हरी झंडी दे दी गई। 

जुयाल ने कहा कि  जोशीमठ भूकंप की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है। यह बात 1939 में ही कह दी गई थी। इसी प्रकार 2013 में हुए केदारनाथ दुर्घटना के पश्चात गंगा आह्वान कमेटी के संयोजक तथा चारधाम परियोजना पर बनी उच्चतम न्यायालय की उच्चशक्ति समिति के सदस्य हेमंत ध्यानी ने कहा कि  पहाड़ों के साथ छेड़छाड़ रोक देनी चाहिए। 2014 में सलाह को स्वीकार तो कर लिया गया किन्तु लागू नहीं किया गया।

इस अनदेखी के कारण जोशीमठ शहर में हुए भूमि धंसाव के कारण कई घरों में खतरनाक दरारें आ गई है।   

ये भी पढें: Supreme Court ने कहा Demonetization का निर्णय सही, उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं,कोई मायने नहीं रखता 

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

Hemant Vatsalya
Hemant Vatsalyahttp://www.dnpindiahindi.in
Hemant Vatsalya Sharma DNP INDIA HINDI में Senior Content Writer के रूप में December 2022 से सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने Guru Jambeshwar University of Science and Technology HIsar (Haryana) से M.A. Mass Communication की डिग्री प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने Delhi University के SGTB Khalasa College से Web Journalism का सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया है। पिछले 13 वर्षों से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हैं।

Latest stories