मंगलवार, मई 7, 2024
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Radha Ashtami 2023: राधा अष्टमी से जुड़ी ये खास बात हर भक्त को जाननी चाहिए, इस शुभ मूहर्त पर करें पूजा

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Radha Ashtami 2023: आज देशभर में राधा जन्माष्टमी का उत्सव बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। राधा जी का नाम हमेशा भगवान कृष्ण के साथ लिया जाता है। तो वहीं कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।

23 सितंबर को मनाई जाती है राधा अष्टमी


अगर हिंदू पंचांग की बात करें, तो हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल की राधा अष्टमी 23 सितंबर यानी कि आज मनाई जा रही है। मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी होती है। यही कारण है कि भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा रानी का भी नाम लिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा जन्माष्टमी की भी देशभर में धूम है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने अपने रीति रिवाजों के अनुसार राधा जन्माष्टमी मनाई जा रही है।

अष्टमी का शुभ मुहूर्त

पंचांग में बताया गया है कि राधा अष्टमी के दिन तीन अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि इस दिन सौभाग्य योग जो रात्रि 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। साथ ही इस दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जो इस दिन दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर सुबह 06 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। अगर आप राधा रानी की पूजा का शुभ मुहूर्त देख रहे हैं तो आप इन सभी मुहूर्तों में पूजा पाठ कर सकते हैं।


राधा अष्टमी का महत्व

कई लोगों के मन में सवाल होगा कि राधा अष्टमी आखिरकार क्यों मनाई जाती है क्या इसके पीछे कारण है? तो चलिए हम आपको बताते हैं, राधा अष्टमी का महत्व राधा अष्टमी एक विशेष त्यौहार है। कहते हैं राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की सुख शांति और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो भक्त राधा रानी को खुश कर देते हैं। उनसे भगवान कृष्ण भी अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं, कहा जाता है कि राधा रानी के इस व्रत करने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है, और सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

राधा अष्टमी पर व्रत और पूजा करने की विधि


जो लोग राधा अष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं और उन्हें व्रत की विधि नहीं पता है, तो हम उनको बता देते हैं।
सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करें।
स्नान करने के बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्य भाग में मिट्टी या फिर तांबे का कलश स्थापित करें।
कलश स्थापित करने के बाद इस पात्र पर वस्त्रभूषण से सुसज्जित राधा जी की सोने की मूर्ति को स्थापित करें।
मूर्ति स्थापित करने के बाद राधा जी का षोडशोपचार करें
इसके साथ ही आपको ध्यान रखना है कि पूजा करने का समय ठीक मध्यह्वन होना चाहिए।
पूजा करने के बाद आप चाहें तो उपवास रख सकते हैं या फिर भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
जो सुहागन स्त्रियां राधा अष्टमी के दिन व्रत रखती हैं, वह राधा अष्टमी के दूसरे दिन सुहागन स्त्रियों को या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दें।

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